GLORY OF MEENA HOSTEL
शिक्षा और जागरूकता द्वारा ही संविधान प्रदत्त अधिकारों का सदुपयोग किया जा सकता है । आदिवासी जनजातियों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए शिक्षा ही एकमात्र बंधन सूत्र है । मीना जनजाति, अधिकांशतः राजस्थान के पूर्वी एवं दक्षिणी पूर्वी भाग में दूर-दराज के क्षेत्रों में निवास करती है। सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में, पर्याप्त मूलभूत सुविधाओं के अभाव में, छात्रों को कॉलेज स्तर की शिक्षा प्राप्त करने में विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है और समाज के प्रतिभाशाली छात्र उच्च शिक्षा से वंचित हो जाते हैं। उच्च-शिक्षा हेतु महानगरों में स्थित उच्च शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश लेना और अध्ययन करना गरीब प्रतिभाशाली बच्चों के लिए दिवास्वप्न जैसा है I
इन विपरीत परिस्थितियों से जूझ रहे, समाज के प्रतिभाशाली छात्रों को उच्च-शिक्षा के लिए मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जनजाति के छात्रों के लिए एक छात्रावास एवं अध्ययन केंद्र की स्थापना का विचार 80 के दशक के उत्तरवर्ती वर्षों में जोर पकड़ने लगा। समाज का बुद्धिजीवी वर्ग एक ऐसी शैक्षणिक संस्था का निर्माण करना चाह रहा था; जहाँ रहकर समाज के प्रतिभाशाली छात्र अपना सामाजिक, मानसिक व बौद्धिक विकास कर समाज को नई गति व ऊर्जा प्रदान कर सकें । समाज के सामाजिक और राजनीतिक नेतृत्व, बुद्धिजीवियों और युवाओं के सहयोग से जयपुर के झालाना संस्थानिक क्षेत्र में मीना छात्रावास एवं अध्ययन केंद्र बनाने के लिए जगह सुनिश्चित की गई ।
मीना छात्रावास एवं अध्ययन केंद्र की आधार शिला, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. श्री भैरोसिंह शेखावत जी के कर कमलों द्वारा 14, अप्रैल 1991 को रखी गई । एक सत्र में 256 छात्रों के रहने की क्षमता वाले, इस छात्रावास की चार मंजिला भव्य इमारत सन 1995 में बनकर तैयार हो गई और 25, सितम्बर 1995 से छात्रावास के प्रथम शैक्षणिक सत्र शुरूआत हो गई। मीना छात्रावास, सांगानेर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अडडे से 8 किमी, गांधीनगर रेल्वे स्टेशन से 3 किमी, जयपुर रेल्वे जंक्शन से 8 किमी और सिंधी कैंप केंद्रीय बस स्टैण्ड से 8 किमी दूरी पर स्थित है। हर वर्ष 25 सितंबर को छात्रावास का स्थापना दिवस व नव आगन्तुक छात्रों का स्वागत समारोह बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
छात्रावास निर्माण हेतु समाज के किसानों, मजदूरों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, नौकरशाहों व नेताओं के साथ-साथ भामाशाहों ने भरपूर आर्थिक सहायता प्रदान करने की और साथ ही भवन निर्माण सामग्री जैसे बजरी, ईंट, पत्थर, सीमेंट, लोहा इत्यादि की अपनी-अपनी क्षमता अनुसार व्यवस्था भी की। समाज के प्रत्येक वर्ग ने विद्या के इस मंदिर और बच्चों के भविष्य निर्माण की पावन स्थली के निर्माण हेतु अपनी अपनी क्षमता अनुसार योगदान किया । छात्रावास भवन का निर्माण व्यक्तिगत प्रयास न होकर सामाजिक सहयोग और पारस्परिक सहभागिता का अनूठा उदाहरण था, जिसकी पताका समाज के हर हाथ ने मजबूती से थाम रखी थी। शिक्षा के मंदिर की खातिर हर घर से एक रूपया का नारा दिया गया था। यह उल्लेखनीय है कि इस पुनीत कार्य में समाज के महत्वपूर्ण सामाजिक संगठन "राजस्थान आदिवासी मीना सेवा संघ" के तात्कालिक पदाधिकारियों और संगठन से जुड़े विभिन्न कार्यकर्ताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की और तात्कालिक समय के सामाजिक, व राजनीतिक नेतृत्व और युवाओं की तरुणाई ने छात्रावास निर्माण की पहल को अमलीज़ामा पहनाने में समर्पण भाव से सृजनात्मक व रचनात्मक सहयोग दिया।
धौलपुरी पत्थरों से सुसज्जित इमारत आज भी, राह चलते राहगीरों का ध्यान, अनायास ही अपनी ओर खींचती है। अरावली भवन, हिंदी ग्रंथ अकादमी, आदिवासी शोध-संस्थान, लवण भवन, राजस्थान राज्य पाठय पुस्तक मंडल, अरण्य भवन, इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान, राधाकृष्णन पुस्तकालय, एनसीसी ट्रेनिंग कैंप, ऑफिसर ट्रेनिंग सेंटर, दैनिक भास्कर, पंजाब केसरी व राजस्थान पत्रिका समाचार पत्र का मुख्य कार्यालय, एमएनआईटी का परिसर, जवाहर कला केंद्र और जयपुर दूरदर्शन से समीपता मीना छात्रावास की शोभा को और बढ़ा देती है। राजस्थान कॅालेज, कामर्स कॉलेज, कोटा खुला विश्वविद्यालय व राजस्थान विश्वविद्यालय के खेल मैदानों व ग्रीन जोन से, छात्रावास सटा हुआ है। छात्रावास के सामने ही स्थित कर्पूरचंद्र कुलिश स्मृति वन, झालाना के वनों से आच्छादित पहाड़ियां, मनोहर एवं रमणीय दृश्य प्रस्तुत करती हैं ।
छात्रावास प्रांगण, फुलवारी, हरीघास, कचनार व गुलमोहर के वृक्षों से गुलज़ार है। मीना छात्रावास एवं अध्ययन केंद्र में 128 कमरे हैं; जिनमें एक सत्र में 256 छात्र शैक्षणिक माहौल में रहते हैं । प्रत्येक कमरा हवादार व रोशनी से भरपूर है। भू-तल को छोड़, ऊपरी मंजिल के प्रत्येक कमरे बालकनी युक्त हैं । मुख्य भवन में एक सेमिनार हॉल, एक कंप्यूटर लैब, एक क्लास रूम और एक प्रतीक्षालय कक्ष भी है। छात्रावास का अपना एक वृहद सुसज्जित पुस्तकालय है । जहाँ हर विषय की पुस्तकें उपलब्ध होने के साथ-साथ हिन्दी व अंग्रेजी भाषा के विभिन्न अख़बार व पत्र-पत्रिकाएँ आसानी से पढ़ी जा सकती हैं। टेलीविजन रूम, संसाधन संपन्न भोजनालय और जिम छात्रावास की गुणवत्ता को निखारते हैं। छात्रावास में स्नातक व स्नातकोत्तर के विभिन्न पाठयक्रमों में दाखिला वरीयता के आधार पर दिया जाता है। छात्रावास प्रवेश प्रक्रिया में कुछ विशिष्ट मामलों में जैसे अनाथ व अत्यंत गरीबी की परिस्थितियों वाले छात्रों को छात्रावास व भोजनालय फीस से पूर्णतःमुक्त रखा जाता है। प्रति वर्ष दक्षिणी राजस्थान में रहवास करने वाली अन्य जनजातियों के छात्रों के लिए 10 सीटें आरक्षित रखी जाती हैं ।
सन् 2023 तक मीना छात्रावास व अध्ययन केंद्र से लगभग4000 छात्र, शिक्षा अर्जित कर देश-विदेश, गांव, ढाणियों में सरकारी व निजी क्षेत्रों के साथ-साथ समाज सेवा, राजनीति, लेखन, साहित्य, ग्रामीण विकास व जनजातीय विकास के क्षेत्रों में तन-मन-धन से समर्पित सेवा दे रहे हैं। मीना छात्रावास एवं अध्ययन केंद्र को मीना समाज का नालंदा, कोहिनूर, शिक्षा शिखर, आदिवासी अकादमी जैसे सारगर्भित नामों से भी जाना जाता है। मीना जनजाति के लोकगीतों में इस भवन के बख़ान को बखूबी सुना जा सकता है। जिस प्रकार धार्मिक लोगों में मक्का-मदीना, काशी, केदारनाथ जाने की तमन्ना होती है। उसी प्रकार मीना जनजाति के युवाओं की हसरत होती है कि वो इस शैक्षणिक संस्थान में पढ़कर अपनी जिंदगी के सुहाने सफर की शुरूआत करें। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि मीना छात्रावास से अध्ययन करके निकला छात्र न केवल समाज में अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहा है बल्कि राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में सहभागी बन इस देश को मजबूत और समृद्ध बनाने में अपना योगदान दे रहा है ।
HISTORY MEENA HOSTEL & STUDY CENTRE ALUMNI ASSOCIATION
मीणा छात्रावास एवं अध्ययन केंद्र ऐलुमिनी संस्था के उदय का एक अपना इतिहास रहा है इसी क्रम में आपको बताते हुए हर्ष हो रहा है कि एलुमनाई संस्था निर्माण के लिए प्रथम प्रयास वर्ष 2015 में छात्रावास के सम्माननीय भूतपूर्व छात्रों द्वारा प्रस्तुत किया गया। कालांतर में भूतपूर्व छात्रों द्वारा दिए गए नवीन विचारों के साथ संस्थान वर्ष 2018 में आधिकारिक तौर पर परिलक्षित हुआ जिसकी प्रथम कार्यकारिणी में शामिल रहे अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव एवं अन्य सभी कार्यकारिणी सदस्यों ने सकारात्मक सहयोग प्रदान करते हुए अपनी उपलब्धता में मीणा छात्रावास एवं अध्ययन केन्द्र जयपुर परिसर में सिल्वर जुबली कार्यक्रम का छात्रावास एवम समाज के सभी गणमान्य जनों की उपस्थिति के साथ सफल आयोजन क्रियान्वित किया।
तत्पश्चात भूतपूर्व छात्रों के नवीन विचारों का समर्थन करते हुए मीणा छात्रावास एवं अध्ययन केंद्र एलुमनी संस्था को और अधिक लोकतांत्रिक एवं पारदर्शी बनाने हेतु द्वितीय कार्यकारिणी की अध्यक्षता में संविधान का पुनर्गठन किया गया एवं संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों का दायरा बढ़ाया गया जिसमें प्रमुख तौर पर छात्रावास में अध्ययनरत विद्यार्थियों को आर्थिक सहायता एवं किसी आकस्मिक दुर्घटना के दौरान छात्रावास के विद्यार्थी वर्तमान एवं भूतपूर्व के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना मुख्य तौर पर जोड़ा गया वहीं अन्य प्रमुख गतिविधियों में सामाजिक कल्याण को ध्यान में रखते हुए सर्द के पार मुहिम, स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत को ध्यान में रखते हुए स्वच्छता अभियान , पर्यावरण के प्रति सचेत ना के तौर पर वृक्षारोपण मुख्यतः शामिल किए गए।
द्वितीय कार्यकारिणी के द्वारा विगत वर्षों में प्रमुख कार्यक्रमों का सफल आयोजन किया गया जिनमें मुख्य तौर पर प्रथम मिलन समारोह, प्रथम रक्तदान शिविर, मोटिवेशनल सेमिनार , सर्द के पार मुहिम कंबल वितरण, छात्रावास में अध्ययनरत छात्रों को आर्थिक संबल प्रदान करना मुख्य रहे। एलुमनाई एसोसिएशन आप सभी भूतपूर्व छात्रों एवं वर्तमान में अध्ययनरत छात्रों के बीच संबंधों में प्रगाढ़ता के लिए कार्यरत है जो हमें सफलता की ऊंचाइयों तक ले जाने में सकारात्मक सहयोग प्रदान करता है अंत में आप सभी भूतपूर्व छात्रों के कल्याण की कामना करते हुए आपके सफल भविष्य की कामना यह परिवार करता है जड़ों से जुड़ने का एहसास ही अलग है आओ हम सब मिलकर के इस परिवार को नई ऊंचाइयों पर प्रतिष्ठित करें।